देव दिवाली क्यों मनाई जाती है- पौराणिक कथाओं के अनुसार, देव दिवाली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध करके देवताओं को भय से मुक्ति दिलाते हुए फिर से स्वर्ग का राज्य सौंप दिया था। तब सभी देवताओं ने दीपक जलाकर भगवान शिव का स्वागत किया था। तभी से देव दिवाली मनाने की परंपरा है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं।और दीप दान करते हैं। ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि देव दीपावली का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. हिंदू धर्म में देव दीपावली का पर्व विधि विधान से मनाने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है. साल 2024 में देव दीपावली का पर्व 15 नवंबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. देव दिवाली के दिन शाम के समय हरिद्वार हर की पौड़ी या गंगा किनारे 365 दीपक जलाने पर हर दिन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आने वाला वर्ष सुख, शांति, खुशहाली लेकर आता है।
दीपदान प्रज्वलित |
Dev diwali pooja vidhi and muhurat 2024:
देव दिवाली पर होता है दीपक- दीपदान प्रज्वलित करके उचित स्थान पर रखना है। दीपदान देव दिवाली के दिन देव स्थान पर दीपक लगाना है।
देव दिवाली पूजन का शुभ मुहुर्त-15 नवंबर को सुबह 6 बजे 19 मिनट पर शुरू होगा और 16 नवंबर को सुबह 2 बजे 58 मिनट पर खत्म होगा। प्रदोष काल देव दिवाली का मुहुर्त शाम 5:10 से 7:47 तक चलेगा। पूजन 02 घंटे 37 मिनट चलता है।
देव दिवाली पूजन की प्रक्रिया कार्तिक- पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा में भी स्नान करें। इसके बाद सुबह घी या तिल का दीया जलाएं। श्रीकृष्ण की पूजा करें। श्री विष्णु सहस्त्रनाम और श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ खाने के लिए देना चाहिए।
प्रसन्न: किया आप देव दिवाली मनाते हो।
उत्तर: a) है b) ना